रोज़ाना भूजल का गिरता स्तर क्या ड्रिप सिचाई से रोका जा सकता है।
Drip Irrigation System :
रोज़ाना के भूजल का कम होना कृषि और मानव जाती के लिए एक नया खतरा है। जी हां यह बिलकुल सत्य है और अगर ऐसे ही इंसान भूजल का गलत प्रयोग करता रहा तो वो दिन दौर नहीं जब पानी पीने के लिए भी नहीं बचेगा। इंसान विनाश की ओर बढ़ रहा है और विज्ञानं इसमें इसकी कोई मदद नहीं कर सकता। (why we should setup drip irrigation)
क्युकी आज का किसान खेतो में पहले खतरनाक ज़हर डालता है और उसका असर कम करने के लिए अपनी कृषि में पानी लिमिट से ज़्यादा देता है। जिस की वजह से रोज़ाना भूजल गिर रहा है और किसान द्वारा उगाई गयी फसल जो ज़हेरेली है इस से कैंसर जैसी बीमारियों का लगातार बढ़ना हो रहा है।
ड्रिप सिचाई क्यों ज़रूरी है (Drip Irrigation System)
आसान भाषा में आपको में ड्रिप सिचाई समझाने की कोशिश करूंगा। जैसे आपको दिन में पिने के लिए अलग अलग समय पर थोड़ा थोड़ा पानी चाहिए वैसे ही पेड़ पौधे है उनको भी वैसे ही पानी चाइये। आप जो फसल अपने खेतो में बोते हो जब उसको मिट्टी की ताकत से उगना होता है पर हम उसमे एक्स्ट्रा केमिकल्स डाल कर उसको जल्दी उगाते है, पहेली गलती तो यह किसान करते है, अब पानी देने के लिए एक साथ पूरा खेत भरा जाता है, जितना पानी आप और आपके किसान पडोसी अपने सारे खेतो में दे सकते थे आप ने अकेले एक खेत में उतना पानी दे दिया।
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ज़रूरत फसल को नहीं थी इतना पानी की पर जो केमिकल्स, यूरिया, डाई, आदि आपने डाले हुए है उनको चाइये। किसान भाइयो इस दुनिया में पेड़ पौधे ही एक ऐसी जीवित चीज़ है जो हम इंसानो की तरह ही खाना बनाती है और हम इंसानो की तरह ही पानी चाइये उसको। एक प्रिकिर्या जिसको फोटोसिंथेसिस कहां जाता है। इस प्रोसेस में पेड़ पौधे एक समय लेते है और मिट्टी से पदार्थ जैसे - कैल्शियम, आयरन, जिंक आदि और पानी लेते है और सूर्ये की रौशनी की मदद से अपना खाना तैयार करते है। और यही खाना आपका फल होता है जैसे -आम, केला, गेहूं, चावल, मक्का, अमरूद आदि।
जैसे आपको पानी एक साथ नहीं चाइये इसी तरह पेड़ पोधो को भी पानी की एक साथ ज़रूरत नहीं है। पर क्या करे विज्ञानं ने ऐसे ऐसे केमिकल के चक्कर में आपको फसा दिया है की आपको फसल जल्दी चाइये चाहे वो आपके परिवार या दुसरो के परिवार वालो के लिए एक खतरा हो। ऐसे में पेड़ पोधो को पानी देने के लिए सरकार लगातार आपसे आग्रह कर रही है की आप अपने खेतो में ड्रिप सिचाई करे। जिस से पेड़ पोधो को बून्द बून्द पानी मिल सके और पौधे अपनी ग्रोथ अच्छे से बना सके।
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ड्रिप सिचाई का सीधा सा मतलब है पेड़ पोधो की क्षमता अनुसार पानी दे भूजल को कम होने में किसान भाई अपना योगदान दे। और जब आप ड्रिप सिचाई का इस्तेमाल करेंगे तो खुद बा खुद आप केमिकल्स का काम इस्तेमाल होगा। और आपकी फसल भी जानदार होगी और वो ज़्यादा ज़हरीली भी नहीं होगी। बहेतर तो यह है की किसान भी अब अपने पुरखो वाली खेती पे आजाये अगर आपको अपनी और अपने परिवार की जान बचानी है। जिसका नाम है देसी खेती। जैविक खेती। क्यों आप ज़हर डाल कर लोगो को बीमार कर रहे है और बदले में जो कम्पनीज इस ज़हर को बनाती है उनका साथ दे रहे है। माना की आपका फल मोटा है पर उसमे ज़हर मिला हुआ है जो आपको नहीं दिखाई देगा।
नेचर से इंसान को नहीं खेलना चाइये, इंसान भी एक नेचुरल है और पेड़ पौधे भी। जब पेड़ पौधे हमे ज़हर नहीं देते तो हम उनको क्यों ज़हर दे रहे है। सोच कर देखे अगर आपको कोई एक दिन का पानी एक ही समय पीला दे तो क्या आप स्वस्थ होंगे या आप बीमार होंगे।
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ड्रिप इरीगेशन आज ही क्यों
पहले साधारण मोटर, फिर मोनोब्लॉक, फिर विज्ञानं द्वारा विकसित समर सेवेल जिसका उपयोग बहुत ही गलत तरीके से इंसान ने किया है ,पानी का ज़रूरत से ज़्यादा गलत इस्तेमाल। पेड़ लगाने हमने बंद कर दिए जिस से वाटर साइकिल की मदद से बादल बनते थे और टाइम से वर्षा होती थी, तालाब में घर बने है, नदियों में पानी नहीं खेती है, नेचर का हिसाब सब बिगड़ गया है क्युकी हमने नेचर से बगावत की है। अब भी समय है की आप भूजल के सत्तर को रोकने में भारत देश की मदद कर सकते हो। आप अपने खेतो में सिचाई का माध्यम बदल कर ड्रिप सिचाई लगा सकते हो। ड्रिप सिचाई कहाँ से ले कौन लगाएगा कितनी कीमत होगी तो यह आपको सब यूट्यूब पर किसी भिओ वीडियो में मिल जायेगा या आपके आस पास रिटेल शॉप ऐसा कोई किसान होगा जो इन सबका इस्तेमाल कर रहा होगा।
आपकी पैदावर भी बढ़ेगी और आपका जो केमिकल्स का पैसा बर्बाद होता है वो भी बचेगा। एक बार आपको पैसा लगाना है और पानी का सही इस्तेमाल करना है। भारत में ऐसे काफी राज्य है जहां पानी की बहुत कमी है वहां आप बोरिंग नहीं कर सकते आपको केमिकल्स के ज़रिये पानी साफ़ किया हुआ पीने को दिया जाता है। और खेती में ड्रिप सिचाई वो भी तय किया जाता है की कितने पानी की ज़रूरत है। तो इस से पहले हमारे पे यह समय आये तो पहले ही भूजल को बचाने में अपना सहयोग दे।
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काफी किसान ड्रिप सिचाई का प्रयोग कर रहे है और अच्छी पैदावार ले रहे है बून्द बून्द पानी से ही बचाना है हमको जल सत्तर। तेज़ी से होने वाली वर्षा कभी भी भूजल का स्तर नहीं बढाती, जो वर्षा धीमे धीमे होती है और देर तक होती है वही भूजल सत्तर बढाती है। तो आपकी फसल की पैदावार तेज़ी से दिया हुआ पानी नहीं बढ़ा सकता जो पानी धीरे धीरे दिया जायेगा वही पैदावार बढ़ाएगा। हमारा मकसद सिर्फ आप तक बात का पहुंचना था।
आज के हालात देखे चारो ओर कोरोना कोरोना और उनसे सक्रमित लोग और उनकी मौते। क्युकी इंसान ने लगातार नेचर को खिलौना समझा है। लगाना पेड़ो को था पर बाप दादा के पेड़ो का काटा और पैसा कमाया। जबकि काटने के बाद लगाने का भी फ़र्ज़ बनता था। भू जल सत्तर घटता चला गया और विज्ञानं आपको पानी निकलने के साधन देता चला गया। जबकि भूजल को रोकने के साधन तैयार करने थे। आज भी फैसला आपका है की आपको अपना बोरिंग बढ़ाना है या हाई पावर मोटर रखना है या आपको ड्रिप सिचाई , रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसे की मदद लेनी है।
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