New varietiey of basmati paddy : पूसा बासमती 1692 एक छोटी अवधि की फसल है। यह सिर्फ 115 दिनों में तैयार हो जाती है। pusa basmati 1692
बासमती धान की नई वैरायटी पूसा बासमती 1692
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा के निदेशक, डॉ अशोक सिंह ने कहा कि इसमें किसानों को 27 क्विंटल प्रति एकड़ तक का उत्पादन मिलेगा । pusa basmati 1692
पूसा बासमती 1692 एक छोटी अवधि की फसल है। यह सिर्फ 115 दिनों में तैयार हो जाती है। तैयार होकर, किसान बचे हुए समय में उसी क्षेत्र में अन्य उपज का उत्पादन करके अधिक लाभ कमा सकते हैं। pusa basmati 1692
इस बार किसान करे धान के सीधी बिजाई होगा ज़बरदस्त फायदा ।
पूसा बासमती 1509 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ अधिक उपज देगा और पांच दिन पहले तैयार हो जाएगा। धान की इस वैरायटी में चावल ज्यादा नहीं टूटते हैं। लगभग 50 प्रतिशत खड़े चावल निकलते हैं। दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों के लिए इसकी सिफारिश की गई है। pusa basmati 1692
बासमती धान से तीन गुना है इस धान की कीमत सरकार कर रही प्रोत्साहित।
यह किस्म बढ़ाएगी इनकम
पूसा ने जून 2020 में इस किस्म को विकसित किया। यह बताया गया है कि पूरी तरह से नई किस्म होने के कारण इसके बीजों की सीमित उपलब्धता होगी। pusa basmati 1692
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, किसानों की आय न केवल फसलों की कीमतों में वृद्धि के कारण, बल्कि फसल के उच्च उत्पादन के कारण भी बढ़ जाती है। इसलिए यह किस्म किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। पूसा कृषि मेले में भी कई किसानों ने इसके बीज खरीदे। pusa basmati 1692
बालियाँ बनने के बाद धान की फसल को सुरक्षित रखने का बहेतरीन स्प्रे।
इस बासमती चावल का निर्यात सबसे ज्यादा होता है
भारत न केवल बासमती का सबसे बड़ा उत्पादक है, बल्कि निर्यातक भी है। बासमती की दुनिया में लगभग एक सौ पचास देश हैं। pusa basmati 1692
एपिडा के अनुसार, लगभग 30 हजार करोड़ रुपये के चावल का निर्यात सालाना किया जा रहा है। औसतन, गैर-बासमती चावल का निर्यात 15 हजार करोड़ रुपये है। pusa basmati 1692
लॉक डाउन के दौरान इस नई तकनीक से लगाए धान।
बासमती को देश के सात राज्यों, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बाहरी दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में जीआई टैग मिला है। pusa basmati 1692
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