बासमती धान की खेती कर रहे किसान ध्यान दे, आपकी एक गलती डूबा सकती है आपकी फसल।(Basmati dhan)

Basmati dhan : भारत के किसानों पर एक नया खतरा मंडरा रहा है। धान में कीटनाशकों (pesticides)का प्रयोग करते समय सावधानी बरतें। Basmati dhan दुकानदारों की बातो में आकर ना उठाए गलत कदम। नकली कीटनाशक से दोगुना नुकसान होगा। Basmati dhan

बासमती धान की खेती कर रहे किसान ध्यान दे, आपकी एक गलती डूबा सकती है आपकी फसल।(Basmati dhan)

basmati dhan mai pesticides

स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं के कारण, पूरी दुनिया में रासायनिक अवशेष मुक्त कृषि उत्पादों की मांग है। इसका असर भारत के कृषि निर्यात पर भी पड़ रहा है। खासकर बासमती चावल पर जिसे राइस ऑफ क्वीन कहा जाता है। जिससे सालाना करीब 32 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। basmati dhan mai pesticides

यह भारत से निर्यात किए जाने वाले कृषि उत्पादों में सबसे अधिक है। ऐसे में अब सरकार इसका उत्पादन करने वाले किसानों को जागरूक करने जा रही है ताकि वे उतनी ही मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल करें, ताकि वे यूरोपीय, अमेरिकी और खाड़ी देशों के मानकों पर खरे उतर सकें। basmati dhan mai pesticides

इसी कड़ी में कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) और चावल निर्यात संघ उत्तर प्रदेश ने बासमती निर्यात विकास फाउंडेशन (BEDF) के साथ मिलकर 7 राज्यों में 75 किसान जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। जिसमें किसानों को उचित कृषि पद्धतियों को अपनाकर बासमती धान की खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा। पहला कार्यक्रम 16 जुलाई को गौतमबुद्धनगर में होने जा रहा है।

क्या कहेंगे किसानों को?

मानव स्वास्थ्य के लिए गुणवत्ता और सुरक्षित कीटनाशकों का संतुलित उपयोग। नकली कीटनाशकों के प्रयोग से बचने की जरूरत है। उपज और गुणवत्ता के बीच संतुलन बनाने का समय आ गया है। ताकि हमारा बासमती चावल निर्यात मानक पर खरा उतरे। basmati dhan mai pesticides

कीटनाशक की सीमा क्या है?

यूरोपीय संघ, अमेरिका और ईरान सहित कई देशों ने ट्राइसाइक्लाजोल एवं आइसोप्रोथिओलेन जैसे कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा 0.01 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम तय की है। इससे अधिक मिलने पर आपका बासमती चावल निर्यात नहीं हो पाएगा। basmati dhan mai pesticides

यूरोपीय संघ की एक ऑडिट रिपोर्ट के बाद से भारत वर्ष 2018 से बासमती के निर्यात में परेशानी का सामना कर रहा है। बासमती चावल में 19.9 प्रतिशत कीटनाशक तत्व पाया गया। बताया गया है कि 1128 में से 45 नमूनों में कीटनाशक अवशेष की मात्रा निर्धारित मानक से अधिक पाई गई। basmati dhan mai pesticides

यूरोपीय देशों को हमारा बासमती निर्यात निर्धारित मानक से अधिक कीटनाशकों की उपलब्धता के कारण काफी कम हो गया है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोपीय संघ ने आयातित खाद्यान्नों में कीटनाशकों की मात्रा पूर्व निर्धारित मानक से कम कर दी है। इससे यूरोप को बासमती चावल का निर्यात प्रभावित हुआ। basmati dhan mai pesticides

सरकार क्या कर रही है?

केंद्र सरकार किसानों को जागरूक कर रही है कि वे कीटनाशकों का प्रयोग बहुत कम करें। जबकि जिन 9 कीटनाशकों से बासमती चावल के निर्यात में अधिक समस्या आई, उन्हें पंजाब सरकार ने इस सीजन के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। पंजाब बासमती चावल उगाने वाले आधिकारिक क्षेत्रों में से एक है। basmati dhan mai pesticides

किसानों को कीटनाशकों का उपयोग करने के लिए क्यों मजबूर किया जाता है?

यदि धान में रोग नहीं है तो किसान कीटनाशक का प्रयोग क्यों करेगा? बीईडीएफ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा के अनुसार बासमती धान के किसानों को तीन बड़ी बीमारियों और कीटों का सामना करना पड़ता है। इन रोगों के निदान के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करना पड़ता है। basmati dhan mai pesticides

बासमती धान की फसल में रोग

ब्लॉस्ट : इस रोग में पत्तियों पर आँख जैसे धब्बे बन जाते हैं। यह बढ़ता है और पत्तियां जल जाती हैं। जब बाली खराब होती है, तो एक जगह होती है और बाली टूट जाती है। basmati dhan mai pesticides

शीथ ब्लाइट : इस रोग के कारण तने पर चॉकलेट रंग के धब्बे बन जाते हैं। वे बढ़ते हैं और पौधे का गला घोंट देते हैं। basmati dhan mai pesticides

बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट: इसे बीएलबी और ब्लाइट रोग के रूप में भी जाना जाता है। इसमें पत्ती ऊपर से नीचे तक सूखती चली जाती है। basmati dhan mai pesticides

झण्डा रोग : इसमें (बकाने) पौधे अत्यधिक लम्बे हो जाते हैं। फिर पूरा पौधा सूख जाता है। basmati dhan mai pesticides

इसके अलावा बासमती धान में जो कीट पाए जाते हैं वे हैं तना बेधक, ब्राउन हॉपर और लीफ रैपर। basmati dhan mai pesticides

समस्या कब आती है?

जब कीटनाशक नकली हो या उसकी मात्रा अधिक हो तो उसका अवशेष चावल में मिल जाता है। इस तरह वह निर्यात में विफल रहता है। इससे न केवल किसानों को नुकसान होता है, बल्कि देश को भी काफी नुकसान होता है। basmati dhan mai pesticides

दुकानदारों के कहने पर किसानों को कीटनाशकों का प्रयोग करने से बचना चाहिए। दुकानदारों का लक्ष्य कीटनाशक बेचने का है। वे आपको बरगलाकर कीटनाशक बेचेंगे और आप घाटे में रहेंगे। इस बात का खास ध्यान रखें कि आप जो कीटनाशक खरीद रहे हैं वह नकली तो नहीं है। क्योंकि इससे आपको दोहरा नुकसान होगा। पैसा भी जाएगा और सेहत के लिए भी खतरनाक होगा। basmati dhan mai pesticides

फसल में जब भी कोई रोग हो तो कृषि वैज्ञानिक से संपर्क करें। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यदि आप अधिक मात्रा में यूरिया नहीं डाल रहे हैं और पानी का प्रबंधन सही है तो बिना दवा के भी बासमती चावल की खेती की जा सकती है। basmati dhan mai pesticides

बासमती की खेती करने वाले इस नंबर की मदद लेते हैं

बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन ने किसानों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर (8630641798) जारी किया है। इस पर फोटो भेजकर किसान बीमारियों की समस्या से निजात पा सकते हैं। basmati dhan mai pesticides

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