Cashew farming : काजू की खेती (Kaju ki kheti) के लिए उष्ण कटिबंधीय जलवायु सर्वोत्तम मानी जाती है। Kaju ki kheti इसके अलावा गर्म और आर्द्र जलवायु जैसी जगहों पर इसकी उपज बहुत अच्छी होती है। (Kaju ki kheti) काजू के पौधों को अच्छी तरह विकसित होने के लिए 600-700 मिमी बारिश की आवश्यकता होती है। Cashew farming
Kaju ki kheti ki puri jankari
काजू सूखे मेवों के लिए बहुत लोकप्रिय माने जाते हैं। (Kaju ki kheti) इसका इस्तेमाल खाने में तो होता ही है साथ ही इसका इस्तेमाल मिठाई बनाने और इसे सजाने में भी किया जाता है। Cashew farming
काजू का उपयोग शराब बनाने में भी किया जाता है। (Kaju ki kheti) यही कारण है कि काजू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। काजू निर्यात एक बड़ा व्यवसाय है। किसान इसके पेड़ लगाकर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। Cashew farming
काजू के पेड़ होते है। इसके पेड़ों की लंबाई 14 से 15 मीटर तक होती है। इसके पेड़ तीन साल में फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं। Cashew farming
काजू के अलावा इसके छिलकों का भी इस्तेमाल किया जाता है। (Kaju ki kheti) इसके छिलकों से पेंट और लुब्रिकेंट तैयार किए जाते हैं, इसलिए इसकी खेती फायदेमंद मानी जाती है। Cashew farming
काजू की खेती कैसे की जाती है?
यह उष्णकटिबंधीय स्थानों में अच्छी तरह से बढ़ता है। (Kaju ki kheti) इसकी खेती उन जगहों पर करना अच्छा माना जाता है जहां तापमान सामान्य रहता है। इसके लिए समुद्र तल की लाल और लेटराइट मिट्टी इसकी फसल के लिए अच्छी मानी जाती है। इसलिए दक्षिण भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। Cashew farming
काजू की खेती समुद्र तल से 750 मीटर की ऊंचाई पर करनी चाहिए। अच्छी उपज के लिए इसे नमी और सर्दी से बचाना होगा। (Kaju ki kheti) क्योंकि नमी और ठंड के कारण इसकी उपज प्रभावित होती है। काजू की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है यदि ठीक से देखभाल की जाए। Cashew farming
काजू के लिए सबसे अच्छा मौसम
काजू की खेती के लिए उष्ण कटिबंधीय जलवायु सर्वोत्तम मानी जाती है।(Kaju ki kheti) इसके अलावा गर्म और आर्द्र जलवायु जैसी जगहों पर इसकी उपज बहुत अच्छी होती है। Cashew farming
काजू के पौधों को अच्छी तरह विकसित होने के लिए 600-700 मिमी बारिश की आवश्यकता होती है। (Kaju ki kheti) सामान्य से अधिक ठंडा या गर्म होने पर इसकी उपज प्रभावित हो सकती है। सर्दी की पाला भी इसकी फसल को नुकसान पहुंचाता है। Cashew farming
काजू की खेती के लिए ऐसे करें तैयारी
काजू की रोपाई के लिए खेत की दो बार गहरी और तिरछी जुताई कर लेनी चाहिए। (Kaju ki kheti) इसे लगाने के लिए दो पौधों के बीच की दूरी चार मीटर होनी चाहिए। इस तरह एक हेक्टेयर में 500 पौधे लगाए जा सकते हैं। Cashew farming
रोपण से पहले गोबर की खाद को उचित मात्रा में मिट्टी में मिलाकर गड्ढे में भरना होता है। (Kaju ki kheti) इसके बाद गड्ढों को अच्छी तरह भरकर सिंचाई करनी चाहिए। काजू के पौधे तैयार करने के लिए इसके बीजों को सीधे खेत में लगाया जा सकता है। Cashew farming
काजू के पौधे लगाने के लिए एक महीने पहले गड्ढा तैयार कर लेना चाहिए। इसके बाद आप गड्ढे को अच्छी तरह से खोदकर उसमें एक छोटा सा गड्ढा बनाकर काजू के पौधे लगा सकते हैं। (Kaju ki kheti) वर्षा ऋतु में इसके पौधे लगाने से सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती और पौधे शीघ्र ही तैयार हो जाते हैं। Cashew farming
काजू के पेड़ो से पैदावार
एक बार लगाए गए काजू के पेड़ कई सालों तक पैदावार देते हैं। (Kaju ki kheti) पौधे लगाने में समय लगता है। एक हेक्टेयर में 500 काजू के पेड़ होते हैं। एक पेड़ से 20 किलो काजू मिलता है। (Kaju ki kheti) इससे एक हेक्टेयर में करीब 10 टन काजू की पैदावार होती है। इसके बाद इसकी प्रोसेसिंग में खर्चा आता है। फिर काजू बाजार में 700-800 रुपये प्रति किलो बिकता है। Cashew farming
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